१. लाहौल -स्पीति :
१. पटन घाटी :
- यह घाटी आलू की फसल के लिए प्रसिद्द है, इसे जिले का 'बाग़' और अन्न-भंडार कहा जाता है।
२. चंद्रभागा घाटी
- चंंद्रा और भागा दो नदियों के नाम है , जो 'तांडी ' नामक स्थान पर मिलती है, तथा 'चिनाब नदी ' का रूप ग्रहण करती है।
- चंद्रा नदी पांगी घाटी(चम्बा) में बहती हुई दक्षिण के ' तारनपाल ' नामक स्थान पर चम्बा जिले में प्रवेश करती है
- भागा नदी का उद्द्गम दक्षिण -पश्चिम में बारालाचा दर्रे से हुआ है।
- चंंद्रभागा घाटी को स्थानीय भाषा में " रंगोली ; भी कहते है।
- चंद्राभागा घाटी का अधिक क्षेत्र जनसंख्या विहीन है , इस घाटी में चंद्रा नदी के 'खोकसर ' स्थल से 72 किमी निचे बहने के उपरान्त प्रथम मनुष्य निवास मिलता है।
- भागा घाटी को स्थानीय भाषा में ' गारा या पुनान ' भी कहते है। दरचा से केलांग तक 'तोड़ ' तथा उसके उपरांत ' गारा ' कहा जाता है।
- भागा नदी के दाहिने किनारे पर स्थित ' केलांग ' सुप्रसिध्द गाँव है जो लाहौल -स्पीति का मुख्यालय है।
३. पिन घाटी
- स्पीति की चार स्थानीय इकाइयों में से एक पिन घाटी है जो पिन नदी के दोनों ओर स्थित है।
- पिन घाटी अंतराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त ' चौमुरी घोड़ो ' के लिए प्रसिद्द है। जिन्हे रामपुर में लवी के दौरान काफी ज्यादा कीमत में बेचा जाता है।
४. स्पीति घाटी
- स्पीति घाटी हिमाचल प्रदेश के उच्चतम क्षेत्र में स्थित जिसकी ऊँचाई समुद्रतल से 3000 से 6500 मीटर है।
- इस घाटी में मुख्यत आलू की खेती होती है तथा इस घाटी में अल्पाइन के वृक्ष पाएं जाते है।
- चंद्रा व् भागा इस घाटी की प्रुमख नदियां है।
- इस घाटी को ' शीत मरुस्थल ' भी कहा जाता है।
- इस घाटी में कई प्रसिद्द 'गोम्पा ' है , जो शिक्षा व् संस्कृति के सक्रीय केंद्र है, 'डंखर ', 'की ', 'ताबो ', 'लह -लुड्डू ', ' कुगरी ' आदि।
- जिसमे सन 996 ई ० में बना 'ताबो ' गोम्पा आज विश्वभर में प्रसिद्द है।इसे हिमालय की 'अजंता ' कहा जाता है।
- भाषा , कला एवं संस्कृति अकादमी ने इस घाटी में '600 वर्ष पुरानी पांडुलिपियां ' खोजी जो 'आयुर्वेद से संबधित है।
चम्बा जिला की घाटियाँ
१. चम्बा या रावी घाटी
- चम्बा घाटी को 'रावी ' घाटी के नाम से भी जाना जाता है, रावी नदी चम्बा घाटी के बीचोबीच प्रवाहित होती है।
- इस घाटी में गद्दी जनजाति के लोग रहते है।
- चम्बा घाटी को 'दूध की घाटी" , "बंदर घाटी" तथा 'शहद की घाटी' नाम से भी जाना जाता है।
- इस घाटी में रहने वाले लोगो को चम्ब्याल कहा जाता है।
- इस घाटी में भेड़ -बकरी पालन तथा मधुमक्खी पालन होता है।
- इस घाटी में गुच्छियां भी पाई जाती है।
२. पांगी घाटी
- पांगी घाटी 'चिनाब नदी' के किनारे स्थित है।
- यह घाटी पीरपंजाल और वृहद हिमालय पर्वत श्रृंखलाओं के पर्वत पृष्टो को काटती है।
- पांगी घाटी के उत्तर में 'जास्कर धार ' है।
- पांगी घाटी में ही ' साच ' क्षेत्र के साथ ' सेचु नाला ' गिरता है।
- पांगी घाटी ' चरागाहों ' के लिए प्रसिद्द है।
- पांगी घाटी में दयार , कैल , तोष , विल्लो तथा अधिक ऊँचे स्थान पर भोज पत्र के वृक्ष पाए जाते है।
३. चुराह घाटी
- चुराह घाटी में जितने भी जल स्त्रोत है इन सभी का सृजन 'स्यूल खड्ड ' करती है।
- चुराह घाटी दो तहसीलो में बनती है , ऊपर चुराह ( तीसा / भजरानु ) तथा निचली का लोअर चुराह (सलूणी ) मुख्यालय है।
- स्यूल नदी का मूल स्त्रोत ' पधरी ' ही माना जाता है।
- उप्पर ' चुराह में 'दराती जोत ' तथा निचले चुराह में ' पधरी जोत ' है।
काँगड़ा जिले की घाटियाँ
१. काँगड़ा घाटी
- काँगड़ा घाटी में सुनहरी सफेद चादर ओढ़े धौलाधार पर्वत श्रृंखला और दक्षिण में शिवालिक की पहाड़िया है।
- काँगड़ा घाटी हिमालय की दर्शनीय घाटियों में से एक है।
- काँगड़ा घाटी को 'वीरों की घाटी ' कहा जाता है।
- बैजनाथ , पालमपुर , काँगड़ा , धर्मशाला और नूरपुर काँगड़ा घाटी के प्रसिद्द शहर है।
- इस घाटी का बिड स्थान 'हैंग - ग्लाइडिंग ' के लिए प्रसिद्द है।
- काँगड़ा घाटी में 'शोभा सिंह कला केंद्र (अंद्रेटा) ' शिव मदिर (बैजनाथ)' , निर्वासित तिब्बती सरकार का मुख्यालय ( मैक्लोडगंज )' , चामुंडा मदिर , बृजेश्वरी मंदिर , 'तपोवन संदीपनि हिमालय ' पर्यटकों का केंद्र है।
२. बड़ा भंगाल घाटी
- यह घाटी काँगड़ा घाटी में लगती है जो धौलाधार व् पीरपंजाल पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य स्थित है।
- यह घाटी काँगड़ा और चम्बा जिले के क्षेत्र को छूती है।
- रावी नदी का उद्द्गम इसी घाटी की ढलान से होता है।
इसके अतिरिक्त काँगड़ा जिले में अन्य महत्वपूर्ण घाटी :
३. विलिंग घाटी
४. हल्दून घाटी
कुल्लू जिले की घाटियाँ
१. कुल्लू घाटी
- कुल्लू घाटी को 'देव घाटी ' के नाम से जाना जाता है।
- इस घाटी में देवदार व् सेब पाए जाते है।
- कुल्लू घाटी के मणिकर्ण को 'शिव' से जोड़ा गया है।
- कुल्लू घाटी रूपी वादी 'रूपा ' यानी चांदी की खानो के लिए प्रसिद्द है।
- 'मकड़सा ' गड़सा नाला व् व्यास नदी का संगम काफी समय तक कुल्लू की राजधानी रहा है।
- इस घाटी के प्रमुख शहर : कुल्लू , मंडी , भुंतर , शम्शी तथा मनाली है
- नग्गर किला , नेहरू कुंड , रौरिक कला संग्रहालय , हिडिम्बा माता मंदिर तथा गर्म पानी के चश्मे इस घाटी के मुख्य आकर्षण है।
इसके अतिरिक्त कुल्लू जिले में अन्य महत्वपूर्ण घाटी :
२ . सोलंग घाटी
३. पार्वती घाटी
४. सिराज घाटी महत्वपूर्ण है।
मण्डी जिले की घाटियां
१. बल्ह घाटी
- बल्ह घाटी मंडी जिले के मैदानी भागो में स्थित है।
- बल्ह घाटी को ' सुन्दर नगर घाटी ' के नाम से भी जाना जाता है।
- बल्ह घाटी के उत्तर में शिमला और दक्षिण में शिवालिक की मनोरम पहाड़िया है।
- बल्ह घाटी हिमाचल प्रदेश की सबसे उपजाऊ घाटी है।
- 1962 में भारत जर्मन सयुंक्त कृषि परियोजना से बल्ह घाटी का अद्भुत आर्थिक विकास हुआ है।
- इस घाटी में पानी की जरूरतों को पूरा करने में 'सुकेती नदी ' का प्रमुख योगदान है।
२. इमला -विमला घाटी
- यह घाटी मंडी जनपद मुख्यालय के दक्षिण पूर्व में शिकारी धार से परलोग (शतद्रु/सतलुज नदी तट ) तक व्याप्त है.
- इमला का उदगम डी ० पी ० ऍफ़ ० दोफा जंगल के 'मंडूढ़ोग ' से होता है
- विमला का उद्गम ' गूढाह ' से होता है।
३. चौंतरा घाटी
- चौंतरा घाटी मंडी जिला की जोगिंदरनगर तहसील में स्थित है।
- यह घाटी अधिक जनसख्या वाली तथा उपजाऊ है।
- यह घाटी धौलाधार पर्वत श्रृंखला के धरातल में स्थित है।
किन्नौर जिले की घाटियां
१ . सतलुज घाटी
- सतलुज नदी के तिब्बत से भारत की भूमि में 'शिपकिला ' नामक स्थान पर प्रवेश करते ही सतलुज घाटी शुरू होती है।
- सतलुज घाटी बिलासपुर जिले तक फैली हुए है।
- सतलुज घाटी के प्रमुख नगर रामपुर (शिमला) और बिलासपुर है।
२ . सांगला या बस्पा घाटी
- सांगला घाटी समुद्रतल से 1830 मीटर से 3475 मीटर की ऊंचाई में स्थित है।
- सांगला घाटी का सबसे ऊँचा गांव ' चितकुल ' है।
- कामरु और सांगला इस घाटी के प्रमुख गाँव है।
- सुप्रसिद्द ' चुग शाकगो ' दर्रा इस घाटी में स्थित है।
- सांगला घाटी में केसर और जीरे का उत्पादन होता है।
- सांगला घाटी को ही बसपा घाटी के नाम से जाना जाता है।
- बस्पा सतलुज की सहायक नदी है।
- आधुनिकीकरण के परिणाम स्वरूप इस घाटी में बेमौसमी सब्जी उत्पादन को प्राथमिकता मिल रही है।
इसके अतिरिक्त किन्नौर जिले में अन्य महत्वपूर्ण घाटी :
३. हंगरांग घाटी
४. रूपा और रूपिन घाटी
५. पुलघाटी तथा रिब्बा प्रमुख है।
सिरमौर जिले की घाटियां
१ . क्यारना दून या पौंटा घाटी
- क्यारना दून घाटी हिमाचल प्रदेश के दक्षिण पूर्व भाग में स्थित है।
- यह सिरमौर में पौंटा नगर के अस्तित्व में आने के बाद ' पौंटा घाटी' के नाम से जानी जाती है।
- यमुना नदी इसे देहरादून में अलग करती है।
- दून घाटी नाहन के पर्वत पृष्ठ से लेकर दक्षिण शिवालिक पहाड़ियों तक फैली हुई है।
- बाटा नदी इसको सिंचती है।
- गिरी और बाटा इस घाटी की प्रुमख नदीया है।
- राजा शमशेर सिंह के शाशन काल में लोगो ने यंहा बसना शुरू किया था।
- इस घाटी में पौंटा साहिब नगर है जंहा सीखो का प्रसिद्द गुरुद्वारा है , और राम मंदिर भी है।
- इस घाटी की मुख्य फसले ; मक्का , गेंहू , जौ तथा गन्ना है।
- पौंटा साहिब , माज़रा तथा धौलाकुंआ इस घाटी के अंतर्गत आने वाले कस्बे है।
इसके अतिरिक्त सिरमौर जिले में अन्य महत्वपूर्ण घाटी :
राजगढ़ घाटी
सोलन जिले की घाटियां
१ .सोलन घाटी
- सोलन घाटी को टमाटर तथा मशरूम की घाटी कहा जाता है।
२ .सरसा घाटी
- सरसा घाटी कालका से नालागढ़ तक फली है।
- इस घाटी में बहुत सारे उधोग स्थापित है, जिसके कारन इस औद्योगिक घाटी के नाम से भी जाना जाता हैं।
- परवाणु , बद्दी , बरोटीवाला , नालागढ़ आदि इसमें आने वाले औद्योगिक शहर है।
- इस घाटी में मुख्यता गेंहू , चावल , मक्का आदि पैदा होता है।
- इस घाटी के मुख्य शहर : कसौली , सनावर , डगशाई , हरिपुर , बेजा इत्यादि है।
- इस घाटी में स्थित 'कसौली ' शहर शिवालिक पर्वतमाला का एक रमणीय स्थल है। इसका पुराना नाम 'कसूल ' था। इसकी सबसे ऊँची चोटी ' मंकी पॉइंट ' के नाम से जानी जाती है।
- कसौली में 1905 में डॉ सेम्पल द्वारा एक पास्चर खोला था , जिसे अब केंद्रीय अनुसधान संस्थान के नाम से जानते है।
- यंहा पर पागल कुतो निरोधक वेक्सीनो तथा सांप का इलाज होता है।
- 'सनावर; कसौली से ५-६ किमी दूर है वंहा पर लॉरेंस द्वारा स्थापित लॉरेंस स्कूल है।
३ .अश्वनी घाटी
- अश्वनी घाटी 'क्योंथल 'तथा ' बघाट ' क्षेत्र में भाषायी रूप में सीमा का कार्य करती है यानि इस नदी घाटी के बाईं ओर ' क्योंथली भाषा ' तथा दाईं ओर ' बघाटी भाषा ' बोली जाती है।
- अश्वनी घाटी का क्षेत्र कुफरी (शिमला) से गौड़ा (सोलन ) तक फैला हुआ है।
- इस घाटी का जन्म अश्वनी नदी के रूप में शिमला के टूटीकंडी के समीप 'बड़ई गांव'स से होता है।
- इस घाटी के प्रुमख शहर : शिमला , चायल , कंडाघाट , धर्मपुर आदि है।
- धारो की धार का किला इस घाटी का अंतिम महत्वपूर्ण स्थान है।
- राजगढ़ रोड पर स्थित ' जटोली गाँव ' सोलन से ७ किमी दूर इसी घाटी में आता है जंहा पर गगनचुम्बी शिव मंदिर है , इसका निर्माण स्वामी कृष्णानंद ने 1980 में प्रारम्भ किया था।
४ .संपरु घाटी
- सोलन जिला की संपरु घाटी बहुत उपजाऊ है यंहा टमाटर और खुमानी अधिक होते है।
- यह घाटी बेमौसमी सब्जियां उगाने के लिए प्रसिद्द है
- इस घाटी की प्रुख फसले : गेंहू , मक्का , चौलाई , कोदा तथा चावल है।
५ .कुनिहार घाटी
- यह घाटी शिमला के पश्चिम की ओर सोलन जिले में आती है।
- यह घाटी 'कुणी खड्ड ' से शुरू होती है और 'तकरूंदिया ' गांव तक जाती है।
- यह घाटी कुनिहार रियासत का अभिन्न अंग थी , जिसका मुख्यालय हाटकोट था।
- इस घाटी की मुख्य फसले : गेंहू , दाल ,मक्का , चना , गन्ना आदि है।
६ .गंभर घाटी
- यह घाटी भौगोलिक रूप से सोलन जिले को दो भागो में बांटती है।
- यह घाटी सब्जी उत्पादन के रूप में अग्रणी है।
- 'अम्बुजा सीमेंट प्लांट ' भी इसी घाटी में है।
- इस घाटी के प्रुमख स्थल : जुब्बड़हट्टी , कुनिहार , स्पाटू , अर्की , महलोग आदि है।
- गम्भर घाटी में स्पाटू के साथ स्वामी उद्भोधन आश्रम व् आयुर्वेद शोध संसथान है।
शिमला जिले की घाटियां
१ .पब्बर घाटी
- पब्बर घाटी रोहड़ू (शिमला ) तहसील में आती है, इसे रोहड़ू घाटी भी कहते है।
- इस घाटी में पानी की कमी को पब्बर नदी पूरा करती है।
- पब्बर नदी चांशल चोटी (चन्द्रनाहन झील) से निकलती है।
- यह घाटी प्रसिद्द प्राचीन मंदिर स्थली 'हाटकोटी ' से शुरू होती है और चांशल चोटी के आधार पर 'टिकरी ' नामक गांव में खत्म होती है।
ऊना जिले की घाटियां
१ .स्वां घाटी
- स्वां घाटी , स्वां नदी ऊना जिला में स्थित है।
- स्वां घाटी को ' जस्वां - दून - घाटी ' भी कहा जाता है।
- इस घाटी के मुख्य शहर : दौलतपुर , गगरेट हरोली आदि है।
- स्वां नदी को ' दुखो की नदी ' भी कहते है।
मानचित्र देखे
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